Friday, 15 May 2020

॥ सम्वेदना ॥

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सम्वेदना एक अमूल्य निधि है। ईश्वर के पास इसका अनंत भंडार है, पर ईश्वर के पास चीज़ों को करने की क्षमता भी है: शायद इसीलिये वह ईश्वर है। जितना ही मानव समाज में इस निधि का विस्तार और प्रसार होगा, मानव समाज उतना ही समृद्ध होता चला जायेगा।

यदि आप इस प्रक्रिया में समाज का साथ नहीं दे सकते तो स्वयं में किसी भी प्रकार की आध्यात्मिक उन्नति की आशा छोड दीजिये।

प्रमोद कुमार शर्मा

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